Thursday, August 31, 2023

 

CIET - NCERT TRAINING ( 04 - 08 SEPTEMBER , 2023 )




TRAINING DATE - 04.09.2023 TO 08.09.2023

TIME - 04:00 PM TO 05:00 PM


CIET PORTAL FOR TRAINING INFORMATION



REGISTRATION LINK 



DAY 1 SESSION LINK

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Sunday, August 27, 2023

Saturday, August 26, 2023

 

National Online Poster Making and Slogan Writing Competition for school students

On occasion of World Ozone Day 2023, Ozone Cell, Ministry of Environment, Forest and Climate Change (MoEE&CC) in collaboration with the National Museum of Natural History (NMNH), is organizing a National level online poster-making and slogan-writing competition for school students to commemorate 29th World Ozone Day on 16th September 2023. As per the past practice, the following competitions are being organized for school students from class 8th to class 12th as per the details given below:

Poster Making 

Drawing sheet of size 22x13 inches

Theme: Protection of the Ozone Layer

Slogan writing

English or Hindi only

(a) Protection of the Ozone Layer

(b) Climate-friendly lifestyle practices to combat Global Warming. 

Eligibility
Students of Class 8 to 12

Interested students in Poster making and Slogan writing competitions can upload their entries directly on the website: http://ozone30mp.nic.in/



 



 

Indian Army's National Quiz 2023

Teach India, CSR Division of The Times of India, is representing the Indian Army's National Quiz 2023 initiative. 

Eligibility
students aged between 10-15 years (Grades 5- 10) across all types of schools - government, private, government-aided, and Army schools throughout all 782 districts of India's 28 states and 8 Union Territories.


Structure and Prizes:
 Your esteemed school will form a team of 3 students+ 1 reserve (include at least 1 girlchild unless it's an all-boys school). Awards worth Rs. 2 crores await both schools & student winners.  Rounds 1 and 2 will be online, at the district level, followed by a live video conferencing Round 3. Round 4 will be an in-person round at 6 Regional Army Command Stations. Round 5 the national round, will consist of a semifinal and final. The final will be at IMA, Dehradun on Dec 3, 2023. 

 CERTIFICATES WILL BE DIGITALLY AWARDED TO EACH SCHOOL
 CERTIFICATES WILL BE DIGITALLY AWARDED TO EACH PARTICIPANT
  Rs. 2 CRORES OF PRIZES WILL BE AWARDED TO SCHOOLS & STUDENT WINNERS

There is no registration fee





Thursday, August 24, 2023

 विश्व गुजराती भाषा दिवस


▪️प्रतिवर्ष 24 अगस्त को विश्व गुजराती भाषा दिवस मनाया जाता है।

▪️यह दिन गुजरात के महान लेखक 'वीर नर्मद' की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है क्योंकि कवि नर्मद को गुजराती भाषा का निर्माता माना जाता था। उन्होंने गुजराती साहित्य को अंतर्राष्ट्रीय बनाया है।

▪️अत्यधिक कष्टों के बीच एक नया गुजराती शब्दकोश बनाकर भाषण में महत्त्वपूर्ण योगदान देने वाले कवि को लोग श्रद्धांजलि देते हैं। शब्दकोश में सभी बोलियों के शब्द उनके विविध उपयोगों के साथ हैं। तब से, ऐतिहासिक नर्मद दर्शन को देखते हुए, भाषा और गुजराती संस्कृति को एक दिन समर्पित करने के लिए विश्व गुजराती दिवस प्रतिवर्ष मनाया जाता है।

▪️कवि वीर नर्मद का जन्म 24 अगस्त, 1833 को गुजरात के सूरत में हुआ था। वे एक ब्राह्मण परिवार से थे। उनका पूरा नाम नर्मदाशंकर लालशंकर दवे था।

▪️नर्मद ने 22 साल में अपनी पहली कविता लिखी। इसके बाद उन्होंने साहित्य की व्याख्या करनी शुरू की। तब वे मुंबई में बतौर शिक्षक कार्यरत थे।

▪️नर्मद ब्रिटिश राज के तहत एक नाटककार, निबंधकार, वक्ता और सुधारक थे, जिनकी कविता "जय जय गरवी गुजरात" अब भारतीय राज्य का राज्य गान है।

Wednesday, August 23, 2023

 अंतर्राष्ट्रीय दास व्यापार और उसका उन्मूलन स्मरण दिवस


▪️प्रतिवर्ष 23 अगस्त को विश्व भर में 'अंतर्राष्ट्रीय दास व्यापार और उसका उन्मूलन स्मरण दिवस' का आयोजन किया जाता है। यह दिवस अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दास व्यापार की त्रासदी से पीड़ित लोगों की याद में आयोजित किया जाता है।

▪️विदित हो कि पश्चिमी यूरोप के औपनिवेशिक साम्राज्यों को ट्रांस अटलांटिक दास व्यापार के कारण सबसे अधिक लाभ हुआ था। इस व्यवस्था के तहत दुनिया भर के तमाम हिस्सों, विशेष तौर पर अफ्रीकी देशों से दासों को हैती, कैरिबियाई देशों और विश्व के अन्य हिस्सों में मौजूद उपनिवेशों में अमानवीय परिस्थितियों में कार्य करने के लिए ले जाया गया। हालाँकि यह व्यवस्था लंबे समय तक न चल सकी और जल्द ही लोगों में असंतोष पैदा हो गया।

▪️22-23 अगस्त, 1791 की रात आधुनिक हैती और डोमिशियल गणराज्य के 'सैंटो डोमिंगो' में इसके विरुद्ध पहले विद्रोह की शुरुआत हुई। इस विद्रोह ने ट्रांस अटलांटिक दास व्यापार के उन्मूलन में एक प्रमुख भूमिका निभाई।

▪️यही कारण है कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा इस दिवस को 'अंतर्राष्ट्रीय दास व्यापार और उसका उन्मूलन स्मरण दिवस' के रूप में आयोजित किया जाता है। यह दिवस हमें दास व्यापार जैसी त्रासदी के ऐतिहासिक कारणों, परिणामों और तरीकों पर सामूहिक रूप से पुनर्विचार करने का अवसर प्रदान करता है।

Monday, August 21, 2023

 विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस


⬧ 21 अगस्त को दुनियाभर में विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस का आयोजन किया जाता है। विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस की पहली बार घोषणा संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 14 दिसंबर, 1990 को की थी। वैसे विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस का इतिहास वर्ष 1988 से शुरू होता है।

⬧ इसे आधिकारिक तौर पर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने शुरू किया था। उन्होंने 19 अगस्त, 1988 को इस पर हस्ताक्षर किये थे,जिसे 21 अगस्त को वरिष्ठ नागरिक दिवस के रूप सामने लाया गया था।

⬧ रोनाल्ड रीगन पहले राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस को पेश करने वाले पहले व्यक्ति थे। विदित हो कि भारत सरकार अपने वरिष्ठ नागरिकों को कई सुविधाएँ देती है।

⬧ 60 वर्ष से ऊपर के सभी नागरिक सभी सरकारी सुविधाओं के हकदार हैं। इन्हें रेलवे के किराए में 40 प्रतिशत छूट दी जाती है। सरकारी बसों में कुछ सीटें आरक्षित रखी जाती हैं। एयरलाइन्स में 50 प्रतिशत तक की छूट देने की व्यवस्था रखी गई है। बैंकों तथा अस्पतालों में भी इन्हें कई सुविधाएँ प्राप्त हैं।

⬧ इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य बुजुर्गों की स्थिति के बारे में जागरूकता फैलाना है और उन्हें शिष्टाचार की प्रक्रिया के माध्यम से समर्थन देना है।

⬧ इस दिन को वृद्ध लोगों के कल्याण के लिये भी मनाया जाता है ताकि उनकी क्षमता, ज्ञान उपलब्धियों और योग्यता की सराहना की जा सके।

Saturday, August 19, 2023

 World Humanitarian Day


▪️Every year on 19th August 'World Humanitarian Day' is observed all over the world.
▪️The theme of this day for the year 2023 is “It takes a village”.
▪️This day marks the respect of people working for the cause of humanity. Also, it is a symbol of the sacrifice of those humanitarian workers, who dedicated their lives in works for human needs etc.
▪️On August 19, 2003, there was an attack on the United Nations Headquarters in Baghdad, the capital of Iraq, in which 22 humanitarian aid workers were killed. Five years later, the General Assembly adopted a resolution to designate 19 August as World Humanitarian Day (WHD).
▪️According to the Humanitarian Needs Overview 2021, 20.7 million people are in need of humanitarian assistance.

Friday, August 18, 2023

 सुभाष चंद्र बोस


▪️सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 को ओडिशा के कटक शहर में हुआ था; उनकी माता का नाम प्रभावती दत्त बोस और पिता का नाम जानकीनाथ बोस था।
▪️नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिवस पर प्रतिवर्ष 23 जनवरी को पराक्रम दिवस मनाया जाता है।
▪️अपनी शुरुआती स्कूली शिक्षा के बाद उन्होंने रेवेनशॉ कॉलेजिएट स्कूल में दाखिला लिया। उसके बाद उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज, कोलकाता में प्रवेश लिया परंतु उनकी उग्र राष्ट्रवादी गतिविधियों के कारण उन्हें वहाँ से निष्कासित कर दिया गया। इसके बाद वे इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय चले गए।
▪️वर्ष 1919 में बोस भारतीय सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने के लिए लंदन चले गए और वहाँ उनका चयन भी हो गया हालाँकि बोस ने सिविल सेवा से त्यागपत्र दे दिया क्योंकि उनका मानना था कि वे अंग्रेज़ों के साथ कार्य नहीं कर सकते।
▪️सुभाष चंद्र बोस, विवेकानंद की शिक्षाओं से अत्यधिक प्रभावित थे और उन्हें अपना आध्यात्मिक गुरु मानते थे, जबकि चितरंजन दास उनके राजनीतिक गुरु थे।
▪️वर्ष 1925 में क्रांतिकारी आंदोलनों से सम्बद्ध होने के कारण उन्हें माण्डले कारागार में भेज दिया गया जहाँ वह तपेदिक की बीमारी से ग्रसित हो गए ।
▪️वर्ष 1930 के दशक के मध्य में बोस ने यूरोप की यात्रा की। उन्होंने पहले शोध किया तत्पश्चात् ‘द इंडियन स्ट्रगल’ नामक पुस्तक का पहला भाग लिखा।
▪️बोस ने वर्ष 1938 (हरिपुरा) में भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस का अध्यक्ष निर्वाचित होने के बाद ‘राष्ट्रीय योजना आयोग’ का गठन किया।
▪️वर्ष 1939 (त्रिपुरी) में बोस फिर से अध्यक्ष चुने गए लेकिन जल्द ही उन्होंने अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे दिया और कॉन्ग्रेस के भीतर एक गुट ‘ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक’ का गठन किया, जिसका उद्देश्य राजनीतिक वाम को मज़बूत करना था।
▪️बोस ने बर्लिन में स्वतंत्र भारत केंद्र की स्थापना की और युद्ध के लिए भारतीय कैदियों से भारतीय सेना का गठन किया।
▪️यूरोप में बोस ने भारत की आज़ादी के लिए हिटलर और मुसोलिनी से मदद माँगी।
▪️आज़ाद हिंद रेडियो का आरंभ नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के नेतृत्व में वर्ष 1942 में जर्मनी में किया गया था।
▪️इस रेडियो पर बोस ने 6 जुलाई, 1944 को महात्मा गाँधी को 'राष्ट्रपिता' के रूप में संबोधित किया।
▪️बोस जुलाई, 1943 में जर्मनी से जापान-नियंत्रित सिंगापुर पहुँचे तथा वहाँ से उन्होंने अपना प्रसिद्ध नारा ‘दिल्ली चलो’ जारी किया और 21 अक्टूबर, 1943 को आज़ाद हिंद सरकार तथा भारतीय राष्ट्रीय सेना के गठन की घोषणा की।
▪️18 अगस्त, 1945 को जापान शासित फॉर्मोसा (वर्तमान ताइवान) में एक विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई।

Wednesday, August 16, 2023

 

SAMPLE PAPERS - CLASS XII

 WITH THE LINK , YOU CAN DOWNLOAD THE SAMPLE PAPERS PREPARED BY CHENNAI SAHODAYA SCHOOLS COMPLEX.

THESE PAPERS ARE SHARED BY DR. ABHILASH ( P.G.T BIOLOGY ).

ENGLISH - CLICK HERE

ACCOUNTANCY  - CLICK HERE

COMPUTER SCIENCE - CLICK HERE

BIOLOGY - CLICK HERE

BUSINESS STUDIES - CLICK HERE

CHEMISTRY - CLICK HERE

ECONOMICS - CLICK HERE

HISTORY - CLICK HERE

INFORMATICES PRACTICES - CLICK HERE

MATHS - CLICK HERE

PHYSICS - CLICK HERE

Monday, August 14, 2023

 विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस


▪️वर्ष 2021 में भारत सरकार ने प्रतिवर्ष 14 अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' के रूप में आयोजित करने की घोषणा की है।
▪️इसके आयोजन का उद्देश्य विभाजन के दौरान आम जनमानस द्वारा झेले गए दर्द और पीड़ा को याद करना है।
▪️अगस्त 1947 में जब अंततः ब्रिटिश शासकों ने भारत छोड़ा तो देश को दो स्वतंत्र राष्ट्र राज्यों में विभाजित कर दिया गया- भारत और पाकिस्तान।
▪️इसी के साथ मानव इतिहास में सबसे बड़े प्रवासों में से एक की शुरुआत हुई, जिसमें लाखों हिंदू और सिख वर्तमान भारत की ओर आ गए, जबकि लाखों मुसलमानों ने पश्चिम और पूर्वी पाकिस्तान (जिसे अब बांग्लादेश के रूप में जाना जाता है) की ओर पलायन किया, हालाँकि इसमें सैकड़ों-हज़ारों लोग ऐसे भी थे, जो प्रवास के लिए चले तो थे पर कभी कहीं पहुँच नहीं सके। समग्र भारतीय उपमहाद्वीप में लगभग एक सहस्राब्दी से सह-अस्तित्व में रहने वाले समुदायों के बीच सांप्रदायिक हिंसा पैदा हो गई।
▪️पंजाब और बंगाल, जो क्रमशः पश्चिम और पूर्वी पाकिस्तान के साथ सटे प्रांत थे, में नरसंहार, आगज़नी, ज़बरन धर्मांतरण, महिलाओं के साथ दुष्कर्म, सामूहिक अपहरण और बर्बर हिंसा के मामले सबसे अधिक देखे गए।
▪️वर्ष 1948 में जब यह महान प्रवास का सिलसिला समाप्त हुआ, तब तक पंद्रह मिलियन से अधिक लोग एक ओर से दूसरी ओर जा चुके थे और लगभग एक मिलियन से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी थी।

Saturday, August 12, 2023

 विश्व हाथी दिवस

   
▪️प्रतिवर्ष 12 अगस्त को विश्व हाथी दिवस मनाया जाता है।
▪️इस दिवस का उद्देश्य हमारे पारिस्थितिकी तंत्र में हाथियों के महत्त्व को स्वीकार करना है।
▪️यह हाथियों के अवैध शिकार, पालतू हाथियों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार, उनके आवास को क्षति पहुँचाने जैसे कारकों को कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
▪️हाथी एक स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने के लिए ये अति आवश्यक होते हैं और हाथी जैव विविधता को भी बढ़ावा देते हैं।
▪️प्रोजेक्ट एलीफेंट द्वारा वर्ष 2017 की जनगणना के अनुसार भारत में जंगली एशियाई हाथियों की सबसे अधिक संख्या (29,964 अनुमानित) है, जो कि हाथियों की वैश्विक आबादी का लगभग 60% है।
▪️वर्ष 1991-92 में पर्यावरण और वन मंत्रालय की केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में प्रोजेक्ट एलीफेंट शुरू किया गया था।
▪️विश्व में पिछले 75 वर्षों में हाथियों की आबादी में 50% की कमी आई है। वर्तमान जनसंख्या अनुमान से संकेत मिलता है कि विश्व में लगभग 50,000-60000 एशियाई हाथी हैं।
▪️वर्ष 2012 में अफ्रीकी और एशियाई हाथियों को होने वाली दिक्कतों के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था।
▪️इस अभियान का उद्देश्य एक स्थायी वातावरण का निर्माण करना है जहाँ हाथियों के साथ होने वाले शोषण को रोका जा सके और उनकी देखभाल की जा सके।
▪️विश्व हाथी दिवस को पहली बार कनाडा के फिल्म निर्माता माइकल क्लार्क और पेट्रीसिया सिम्स द्वारा थाईलैंड में स्थित हाथी प्रजनन फाउंडेशन के साथ मनाया गया था।
▪️वर्ष 2012 में पेट्रीसिया सिम्स ने वर्ल्ड एलीफेंट सोसायटी नामक एक संगठन की स्थापना की। संगठन हाथियों के सामने आने वाले खतरों और विश्व स्तर पर उनकी रक्षा करने की अनिवार्यता के बारे में जागरूकता पैदा करने में सफल रहा है।

 डॉ. विक्रम अंबालाल साराभाई

▪️विक्रम अंबालाल साराभाई भारत के एक महान वैज्ञानिक थे। उन्हें भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का पितामह माना जाता है। उनमें वैज्ञानिक, प्रवर्तक, उद्योगपति तथा दिव्यदर्शनद्रष्टा के विरल गुण थे।
▪️विक्रम साराभाई का जन्म 12 अगस्त, 1919 को अहमदाबाद के प्रगतिशील उद्योगपति के संपन्न परिवार में हुआ था। वे अंबालाल व सरला देवी के आठ बच्चों में से एक थे।
▪️उन्होंने प्राथमिक शिक्षा मोंटेसरी लाइन के निजी स्कूल ‘रिट्रीट’ से प्राप्त की।
▪️विक्रम साराभाई मैट्रिकुलेशन के बाद, वर्ष 1940 में सेंट जॉन कॉलेज, कैंब्रिज विश्वविधालय से प्राकृतिक विज्ञान में ट्राइपोस किया। द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत में वे घर वापस आए तथा भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु में सर सी.वी. रमन के अधीन अनुसंधान छात्र के रूप में कार्य ग्रहण किया। उनके सौर भौतिकशास्त्र व कॉस्मिक किरण में रुचि के कारण, उन्होंने देश में कई प्रेक्षण स्टेशनों को स्थापित किया।
▪️उन्होंने आवश्यक उपकरणों का निर्माण किया तथा बेंगलुरु, पुणे व हिमालयों में मापन किया। वे वर्ष 1945 में कैम्ब्रिज वापस गए तथा वर्ष 1947 में उन्होंने विद्या वाचस्पति की शिक्षा पूर्ण की।
▪️घर वापस आने के बाद नंवबर, 1947 में अहमदाबाद में भौतिकी अनुसंधान प्रयोगशाला की स्थापना की। उनके माता पिता के द्वारा स्थापित अहमदाबाद एजुकेशन सोसायटी के एम.जी विज्ञान संस्थान के कुछ कमरों में प्रयोगशाला को स्थापित किया गया। तदनंतर वैज्ञानिक व औद्योगिकी अनुसंधान परिषद् (CSIR) तथा परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा समर्थन भी मिला।
▪️विक्रम साराभाई ने कॉस्मिक किरणों के समय परिवर्तन पर अनुसंधान किया।
▪️विक्रम साराभाई ने सौर तथा अंतरग्रहीय भौतिकी में अनुसंधान के नए क्षेत्रों के सुअवसरों की कल्पना की थी।
▪️वर्ष 1957-1958 को अंतर्राष्ट्रीय भू-भौतिकी वर्ष (IGW) के रूप में देखा जाता है। साराभाई द्वारा IGW के लिए भारतीय कार्यक्रम एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण योगदान रहा। 1957 में स्पूतनिक-1 के प्रमोचन ने उनको अंतरिक्ष विज्ञान के नये परिदृश्यों से अवगत करवाया। तदनंतर, उनकी अध्यक्षता में अंतरिक्ष अनुसंधान हेतु भारतीय राष्ट्रीय समिति (INCOSPAR) का गठन किया गया।
▪️थुम्बा का विशेष नक्शा कि वह भू-चुबंकीय मध्यरेखा के निकट है, को देखते हुए विक्रम साराभाई ने तिरुवनंतपुरम के पास अरबी तट पर स्थित एक मछुवाही गाँव थुम्बा में देश के प्रथम रॉकेट प्रमोचन स्टेशन, थुम्बा भू-मध्य रेखीय रॉकेट प्रमोचन स्टेशन (TERLS) की स्थापना का चयन किया।
▪️इस साहस में, उनको होमी जहाँगीर भाभा जो उस समय परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष थे, से सक्रिय सहयोग मिला था। नवंबर 21, 1963 को सोडियम वाष्प नीतभार के साथ प्रथम रॉकेट का प्रमोचन किया गया। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1965 में, TERLS को एक अंतर्राष्ट्रीय सुविधा के रूप में मान्यता दी।
▪️विमान दुर्घटना में होमी जहाँगीर भाभा के आकस्मिक मृत्यु के बाद, विक्रम साराभाई ने मई, 1966 में परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष पद को संभाला।
▪️उन्होंने राष्ट्र के वास्तविक संसाधन की तकनीकी तथा आर्थिक मूल्यांकन के आधार पर देश की समस्याओं के लिए उन्नत प्रौद्योगिकी में सक्षमता प्राप्त करने की दिशा में कार्य किया। उन्होंने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत की, जो आज पूरे विश्व में विख्यात है।
▪️डॉ. विक्रम साराभाई ने वर्ष 1962 में ‘शांति स्वरूप भटनागर’ पदक प्राप्त किया। राष्ट्र ने वर्ष 1966 में ‘पद्म भूषण’ तथा वर्ष 1972 में ‘पद्म विभूषण’ (मृत्योपरांत) से सम्मानित किया।
▪️विक्रम साराभाई की मृत्यु 30 दिसंबर, 1971 को हुई थी।

 अन्तर्राष्ट्रीय युवा दिवस

▪️ प्रतिवर्ष 12 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है।

▪️ इस दिवस की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 1999 में की गई थी।

▪️अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस का प्रथम आयोजन वर्ष 2000 में किया गया था।

▪️वर्ष 2023 के लिए थीम - Green Skills for Youth: Towards a Sustainable World (युवाओं के लिए हरित कौशल: एक सतत विश्व की ओर) रखी गई है।

▪️अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस मनाने का उद्देश्य विश्व स्तर पर गरीबी उन्मूलन एवं सतत् विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए युवाओं की भूमिका सुनिश्चित करना है।

 खुदीराम बोस


"क्या गुलामी से बड़ी और भद्दी
कोई दूसरी बीमारी हो सकती है"

★ खुदीराम बोस का जन्म 03 दिसंबर, 1889 को पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिले एक छोटे से गाँव हबीबपुर में हुआ था।
★ उन्होंने हैमिल्टन हाई स्कूल से शिक्षा प्राप्त की।
★ खुदीराम भारत के सबसे कम उम्र के स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे। वर्ष 1900 के दशक की शुरुआत में, अरबिंदो घोष और बहन निवेदिता के सार्वजनिक भाषणों ने उन्हें स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के लिए प्रेरित किया।
★ वर्ष 1905 में, बंगाल विभाजन के दौरान, वे स्वतंत्रता आंदोलन में एक सक्रिय स्वयंसेवक बन गए और ब्रिटिश प्रशासन के खिलाफ़ पर्चे बाँटने के आरोप में पहली बार गिरफ़्तार किया गया।
★ वर्ष 1908 में खुदीराम अनुशीलन समिति से जुड़ गए, जिसने अंग्रेज़ों को भारत से बाहर निकालने के लिए हिंसक तरीकों का सहारा लिया था।
★ डगलस एच किंग्सफ़ोर्ड उस समय कलकत्ता के मुख्य प्रदेश न्यायाधीश (प्रेसीडेंसी मजिस्ट्रेट) थे।
★ क्रांतिकारियों ने किंग्सफ़ोर्ड की हत्या के लक्ष्य को अंजाम देने के लिए खुदीराम बोस और प्रफुल्ल कुमार चाकी को नियुक्त करने का फैसला लिया।
★ 30 अप्रैल,1908 को उन्होंने किंग्सफ़ोर्ड जब क्लब से निकल रहे थे तब घोड़ा गाड़ी पर हमला किया और खुदीराम ने उस पर बम फेंका। बाद में पता चला कि घोड़ा गाड़ी में प्रिंगल कैनेडी नामक बैरिस्टर की पत्नी और बेटी को लेकर जा रही थी।
★ मुजफ्फरपुर (बिहार) के मजिस्ट्रेट किंग्सफोर्ड की हत्या के प्रयास में फाँसी की सजा।
★ खुदीराम बोस और प्रफुल्ल कुमार चाकी को पकड़ने के लिए कलकत्ता पुलिस को बुलाया गया।
★ प्रफुल्ल कुमार चाकी ने गिरफ्तार होने से ठीक पहले आत्महत्या कर ली थी। अंत में, कई मुक़दमों और सुनवाई के बाद खुदीराम को मौत की सज़ा सुनाई गई। खुदीराम मात्र 18 वर्ष की आयु में 11 अगस्त, 1908 को फाँसी दे दी गई, जिससे वह भारत के उन सबसे युवा क्रांतिकारियों में से एक बन गए जिन्हें को अंग्रेजों ने फाँसी दी थी।
★ अमृत बाज़ार पत्रिका (बंगाली) और द एम्पायर (ब्रिटिश) जैसे समाचार पत्रों ने लिखा कि इस क्रांतिकारी लड़के का मिज़ाज ऐसा था कि वह फाँसी के तख्ते पर चढ़ते समय भी मुस्कुरा रहा था।

Thursday, August 10, 2023

 वराहगिरी वेंकट गिरी


❖  वी.वी. गिरी के नाम से प्रसिद्ध भारत के चौथे राष्ट्रपति वराहगिरी वेंकट गिरी का जन्म 10 अगस्त, 1894 को ओडिशा के गंजाम ज़िले के बेहरामपुर में हुआ था।
❖  वी.वी. गिरी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बेहरामपुर से ही प्राप्त की और उसके पश्चात् वे कानून का अध्ययन करने के लिए आयरलैंड चले गए, वहाँ वे भारत और आयरलैंड दोनों देशों की राजनीति में काफी सक्रिय थे, जिसके चलते उन्हें 1 जून, 1916 को आयरलैंड छोड़ना पड़ा।
❖  वी. वी. गिरी 'अखिल भारतीय रेलवे कर्मचारी संघ' और 'अखिल भारतीय व्यापार संघ' (कांग्रेस) के अध्यक्ष भी रहे।
❖  वर्ष 1916 में वे भारत लौटे और मद्रास उच्च न्यायालय में शामिल हो गए।
❖  कालांतर में वे कांग्रेस में शामिल होकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी सक्रिय हो गए।
❖  वर्ष 1934 में वे इम्पीरियल विधानसभा के भी सदस्य नियुक्त हुए तथा वर्ष 1937 तक इस पद पर रहे।
❖  वर्ष 1951 के आम चुनावों में, वह मद्रास में लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से पहली लोकसभा के लिए चुने गए थे और वर्ष 1952-54 के बीच केंद्रीय श्रम मंत्री के तौर पर कार्य किया।
❖  उन्होंने उत्तर प्रदेश (1957-1960), केरल (1960-1965) और कर्नाटक (1965-1967) के राज्यपाल के पद पर कार्य किया।
❖  13 मई, 1967 को वी.वी. गिरी भारत के तीसरे उपराष्ट्रपति के तौर पर चुने गए।
❖  वराहगिरी वेंकट गिरी पहले उपराष्ट्रपति थे जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया था।
❖  वर्ष 1969 में राष्ट्रपति चुनाव हुए और वी.वी. गिरी को भारत के चौथे राष्ट्रपति के तौर पर चुन लिया गया।
❖  वी.वी. गिरी वर्ष 1974 तक भारत के राष्ट्रपति रहे, वर्ष 1975 में उन्हें ‘भारत रत्न' से सम्मानित किया गया।
❖  24 जून, 1980 को उनकी मृत्यु हो गई।

 World Lion Day


❖  'World Lion Day' is organized every year on 10 August to raise awareness about the conservation of lions globally.
❖  The initiative to conserve lions started in the year 2013 and the first 'World Lion Day' was also organized in the same year.
❖  In the last 100 years, the population of lions has been recorded to decline by 80%.
❖  The main goal of organizing this day is to raise awareness to preserve lions in their natural habitat. It also works on measures related to the protection of the lion community.
❖  Its scientific name is Panthera leo. The lion is divided into two subspecies: the African lion and the Asiatic lion (Panthera leo persica).

 World Biofuel Day


❖ Every year on 10 August 'World Biofuel Day' is observed.
❖ It is celebrated to raise awareness about the importance of non-fossil fuels as an alternative to traditional fossil fuels.
❖ This day is celebrated in honor of 'Sir Rudolf Diesel'. He was the inventor of the diesel engine and the first to predict the possibility of using vegetable oil as a substitute for fossil fuels.

❖  Benefits of Biofuels –
- Biofuels can be produced from any type of organic material such as agricultural waste or vegetation including trees and crops.
- It causes less harmful carbon emissions than standard diesel.
- Its use provides relief from environmental pollution.

Wednesday, August 9, 2023

 नागासाकी दिवस


▪️हर वर्ष 9 अगस्त को नागासाकी दिवस मनाया जाता है। अमेरिका ने 6 अगस्त,1945 को जापान के हिरोशिमा शहर में ‘लिटिल बॉय‘ नाम का परमाणु बम गिराया।
▪️इस हमले के 3 दिन बाद 9 अगस्त को अमेरिका ने जापान के दूसरे शहर नागासाकी पर ‘फैट मैन-परमाणु बम’ गिराया था।
▪️जापान में हर साल 9 अगस्त (नागासाकी दिवस) को ब्लैक डे के रूप में मनाया जाता है।
▪️अमेरिका ने यूएस बी-29 बॉम्बर से नागासाकी पर फैट मैन को गिराया था। इस भीषण परमाणु हमले ने नागासाकी के हजारों लोगों की जान ले ली थी।
▪️इस भयानक परमाणु हमले में जापान के हिरोशिमा और नागासाकी के हजारों लोगों की तत्काल मौत हो गई थी। वहीं, लाखों लोग इस त्रासदी में आजीवन विकलांगता और कई बीमारियों से पीड़ित हो गए। यह दुनिया में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का पहला और एकमात्र उदाहरण है। इसलिए, शांति की राजनीति को बढ़ावा देने और नागासाकी पर बम हमले के प्रभावों के बारे में दुनिया में जागरूकता बढ़ाने के लिए नागासाकी दिवस मनाया जाता है।

 काकोरी ट्रेन एक्शन


9 अगस्त, 1925 को देश के अमर सपूतों ने इस ऐतिहासिक घटना को अंजाम दिया।
9 अगस्त, 1925 को हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सदस्यों ने उत्तर प्रदेश के सहारनपुर-लखनऊ लाइन पर 8 डाउन रेलगाड़ी को काकोरी नामक गाँव में रोककर सरकारी विभाग के खजाने को अपने अधिकार में ले लिया। तत्कालीन ब्रिटिश भारत की सरकार इस घटना से अत्यन्त क्रोधित हो गई। उसने भारी संख्या में क्रांतिकारियों को गिरफ्तार कर उन पर काकोरी षड्यंत्र का मुकदमा चलाया।
इस घटना को हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के क्रांतिकारी रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान, राजेंद्र लाहिड़ी, केशव चक्रवती, मुकुंदीलाल, बनवारी लाल समेत 10 क्रान्तिकारियों ने अंजाम दिया था।
इस घटना से पहले क्रांतिकारियों ने स्वतंत्रता आंदोलन को गति देने के लिए धन की तत्काल व्यवस्था के चलते शाहजहाँपुर में बैठक की।
स्वतंत्रता सेनानी रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान और रोशन सिंह को काकोरी षड्यंत्र में शामिल होने के आरोप में 19 दिसंबर, 1927 को फाँसी दे दी गई थी।
शचीन्द्र सान्याल को आजीवन कारावास मिला।
'दक्षिणेश्वर बम कांड' के इस अल्प-ज्ञात मामले का मार्गदर्शन करने वाले लाहिड़ी को दस साल की सज़ा सुनाकर अंडमान के सेलुलर जेल भेज दिया गया।
उत्तर प्रदेश सरकार ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास के एक महत्त्वपूर्ण आंदोलन 'काकोरी कांड' का नाम बदलकर 'काकोरी ट्रेन एक्शन' कर दिया है क्योंकि 'कांड' शब्द भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हुई घटना के अपमान के भाव को दर्शाता है।

 भारत छोड़ो आंदोलन (9 अगस्त,1942)


⬧ प्रारंभ–
9 अगस्त, 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन प्रारम्भ हुआ।
⬧ इसको 'अगस्त क्रांति' के नाम से जाना जाता है।
⬧ भारत छोड़ो आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक ऐसा जन आंदोलन था जिसने ब्रिटिश सरकार की जड़ें हिला कर रख दी।
⬧ महात्मा गाँधी ने अपने पत्र ‘हरिजन’ में अंग्रेजों से भारत छोड़ने की बात करते हुए लिखा कि भारत में अंग्रेजों की उपस्थिति जापानियों को भारत पर आक्रमण करने का निमंत्रण है। गाँधीजी ने अंग्रेजों से भारत को ईश्वर के हाथों में अथवा अराजकता में छोड़ने की बात कही।
⬧ गाँधीजी ने कांग्रेस को अपने प्रस्ताव को स्वीकार न किए जाने की स्थिति में चुनौती देते हुए कहा कि ‘मैं देश की बालू से ही कांग्रेस से भी बड़ा आन्दोलन खड़ा कर दूँगा।’
⬧ वर्धा प्रस्ताव - 14 जुलाई, 1942 को कांग्रेस कार्यसमिति ने ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो प्रस्ताव’ पारित किया।
7 अगस्त, 1942 को बम्बई में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की बैठक में  एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया। 8 अगस्त, 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन का प्रस्ताव पास किया गया।
8 अगस्त 1942 को बंबई के ग्वालिया टैंक में एक ऐतिहासिक सभा में महात्मा गाँधी ने 'करो या मरो' का नारा दिया।
9 अगस्त को तड़के ‘ऑपरेशन जीरो ऑवर’ के तहत कांग्रेस के सभी बड़े नेता गिरफ्तार कर लिए गए।
गाँधीजी व सरोजिनी नायडू को पूना के आगा खाँ महल में व अन्य नेताओं को अहमदनगर के किले में रखा गया और कांग्रेस को अवैधानिक संस्था घोषित कर दिया गया।
जय प्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया, उषा मेहता, अरुणा आसफ अली, अच्युत पटवर्धन आदि ने भूमिगत होकर इस आंदोलन में योगदान दिया।
ऊषा मेहता ने बम्बई में भूमिगत रेडियो स्टेशन स्थापित किया। राम मनोहर लोहिया इस पर नियमित रूप से बोलते थे।
सतारा, बलिया एवं मिदनापुर में भारत छोड़ो आंदोलन के समय समानांतर सरकार स्थापित की गई थी।
बलिया में पहली सरकार चित्तू पांडे के नेतृत्व में बनी थी।
मिदनापुर (बंगाल) में 17 दिसंबर, 1942 से सितंबर, 1944 तक जातीय सरकार के रूप में राष्ट्रीय सरकार रही।
सतारा (महाराष्ट्र) की समानांतर सरकार सबसे अधिक दीर्घजीवी रही। नाना पाटिल इसके प्रमुख नेता थे।
नेतृत्व विहीन यह आंदोलन भारतीय जनता के संघर्ष एवं बलिदान का अनूठा उदाहरण है।
मजदूर वर्ग की भूमिका इस आंदोलन में सक्रिय थी।

 विश्व आदिवासी दिवस


▪️विश्व आदिवासी दिवस, हर वर्ष 9 अगस्त को मनाया जाता है, जो आदिवासी समुदायों को समर्पित है। इस दिन को आदिवासी समुदायों की संरचना, संस्कृति, भाषा और परम्पराओं को समझने, समर्थित करने और संरक्षित करने का अवसर माना जाता है।
▪️इसका उद्देश्य दुनिया की स्वदेशी आबादी के अधिकारों को बढ़ावा देना और उनकी रक्षा करना है तथा उन योगदानों को स्वीकार करना है जो स्वदेशी लोग वैश्विक मुद्दों जैसे पर्यावरण संरक्षण हेतु करते हैं।
▪️यह दिन वर्ष 1982 में जिनेवा में स्वदेशी आबादी पर संयुक्त राष्ट्र कार्य समूह की पहली बैठक को मान्यता देता है।
▪️यह संयुक्त राष्ट्र की घोषणा के अनुसार वर्ष 1994 से हर वर्ष मनाया जाता है।
▪️आज भी कई स्वदेशी लोग अत्यधिक गरीबी, वंचन और अन्य मानवाधिकारों के उल्लंघन का अनुभव करते हैं।

Tuesday, August 8, 2023

 रवींद्रनाथ ठाकुर


▪️रवींद्रनाथ ठाकुर का जन्म 6 मई, 1861 को बंगाल में हुआ था।
▪️रवींद्रनाथ ठाकुर की प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही हुई थी। छोटी उम्र में ही स्वाध्याय से अनेक विषयों का ज्ञान अर्जित कर लिया। बैरिस्ट्री पढ़ने के लिए विदेश भेजे गए लेकिन बिना परीक्षा दिए ही लौट आए।
▪️रवींद्रनाथ ठाकुर की रचनाओं में लोक-संस्कृति का स्वर प्रमुख रूप से मुखरित होता है। प्रकृति से इन्हें गहरा लगाव था। इन्होंने लगभग एक हज़ार कविताएँ और दो हज़ार गीत लिखे हैं।
▪️वर्ष 1913 में इनको गीतांजलि के लिए नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ था, नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले प्रथम व्यक्ति थे।
▪️महात्मा गाँधी ने इनको ‘गुरुदेव’ की उपाधि दी थी।
▪️इनकी साहित्य की भाषा - बंगाली एवं अंग्रेजी थी।
▪️यह भारत एवं बांग्लादेश के राष्ट्रगान के रचयिता।
▪️रवींद्रनाथ ठाकुर चित्रकला, संगीत और भावनृत्य के प्रति इनके विशेष अनुराग के कारण रवींद्र संगीत नाम की एक अलग धारा का ही सूत्रपात हो गया।
▪️इन्होंने वर्ष 1901 में शांति निकेतन नाम की एक शैक्षिक और सांस्कृतिक संस्था की स्थापना पश्चिम बंगाल में की।
▪️अपनी काव्य कृति गीतांजलि के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित हुए रवींद्रनाथ ठाकुर की अन्य प्रमुख कृतियाँ हैं- नैवैद्य, पूरबी, बलाका, क्षणिका, चित्र और सांध्यगीत, काबुलीवाला और सैंकड़ों अन्य कहानियाँ; उपन्यास - गोरा, घरे बाइरे और रवींद्र के निबंध।
▪️जलियाँवाला बाग हत्याकांड के विरोध में 1919 में 'नाइटहुड' की उपाधि लौटा दी।
▪️रवींद्रनाथ ठाकुर का निधन 7 अगस्त, 1941 को हुआ था।

 राष्ट्रीय भाला फेंक दिवस


▪️ प्रतिवर्ष 07 अगस्त को देश में राष्ट्रीय भाला फेंक दिवस (National Javelin Day) मनाया जाता है। एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (AFI) द्वारा 7 अगस्त, 2023 को तीसरा 'भाला फेंक दिवस' मनाया जाएगा।

▪️ टोक्यो ओलंपिक में भाला फेंक प्रतियोगिता में भारत को गोल्ड मेडल दिलाने वाले एथलीट नीरज चोपड़ा के सम्मान में यह दिवस मनाया जाता है।

▪️ जैवलिन थ्रो के चैंपियन और ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा के गाँव खंडरा में ही जैवलिन थ्रो दिवस मनाने की पहल की गई थी। युवाओं को जैवलिन थ्रो खेल के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए यह दिवस मनाया गया।

▪️ इसके लिए 7 अगस्त का दिन ही इसीलिए चुना गया, क्योंकि 7 अगस्त को ही नीरज चोपड़ा ने भाला फेंक की प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक प्राप्त किया था।

▪️ एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने 10 अगस्त, 2021 को प्रतिवर्ष 7 अगस्त को राष्ट्रीय भाला फेंक दिवस' के रूप में मनाने की घोषणा की। उल्लेखनीय है कि 7 अगस्त, 2021 को ही नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक 2020 भाला फेक में प्रतिस्पर्द्धा में देश के लिए पहला स्वर्ण जीता था।

 राष्ट्रीय हथकरघा दिवस


▪️प्रतिवर्ष 07 अगस्त को देश भर में 'राष्ट्रीय हथकरघा दिवस'आयोजित किया जाता है।
▪️इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य आम जनता के बीच हथकरघा उद्योग के बारे में जागरूकता पैदा करना और सामाजिक- आर्थिक विकास में इसके योगदान को रेखांकित करना है।
▪️इसके अलावा यह दिवस भारत की हथकरघा विरासत की रक्षा करने व हथकरघा बुनकरों एवं श्रमिकों को अधिक अवसर प्रदान करने पर भी ज़ोर देता है।
▪️इस दिन को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के रूप में इसलिये चुना गया, क्योंकि ब्रिटिश सरकार द्वारा किये जा रहे बंगाल विभाजन का विरोध करने के लिए वर्ष 1905 में इसी दिन कलकत्ता टाउन हॉल में स्वदेशी आंदोलन आरंभ किया गया था और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार कर भारतीय उत्पादों को प्रोत्साहित करने की घोषणा की गई थी।
▪️तकरीबन एक सदी तक इस दिवस के महत्त्व को देखते हुए वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री द्वारा पहले 'राष्ट्रीय हथकरघा दिवस' का उद्घाटन किया गया। ज्ञात हो कि भारत का हथकरघा क्षेत्र देश की गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।
▪️भारत की सॉफ्ट पॉवर को लंबे समय से हथकरघा और हस्तशिल्प क्षेत्र द्वारा समर्थन दिया गया है। 'खादी डिप्लोमेसी' इसी का एक उदाहरण है। भारत में कपड़ा और हथकरघा क्षेत्र कृषि के बाद लोगों के लिए रोज़गार व आजीविका का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है।

Sunday, August 6, 2023

 सुषमा स्वराज


❖ सुषमा स्वराज का जन्म 14 फरवरी, 1952 को हरियाणा के अंबाला में हुआ।
❖ उन्होंने अंबाला कैंट के सनातन धर्म कॉलेज से स्नातक किया और पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से कानून में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।
❖ सुषमा स्वराज को कृषि विश्वविद्यालय, कानपुर द्वारा डॉक्टरेट की मानद उपाधि से भी सम्मानित किया गया था।
❖ वर्ष 1973 में, उन्होंने भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एक वकील के रूप में वकालत शुरू की।
❖ सुषमा स्वराज ने कम उम्र में सार्वजनिक जीवन में प्रवेश किया और वर्ष 1977 में 25 वर्ष की उम्र में हरियाणा विधानसभा के लिए चुनाव जीता तथा हरियाणा राज्य सरकार में श्रम और रोजगार मंत्री बनीं।
❖ वर्ष 1987 से 1990 अवधि के दौरान वह फिर से हरियाणा विधानसभा के सदस्य के रूप में चुनी गईं तथा शिक्षा, खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री बनीं।
❖ सुषमा स्वराज वर्ष 1990 में, राज्यसभा सांसद बनीं और वर्ष 1996 में वह 11 वीं लोकसभा की सदस्य के रूप में चुनी गईं तथा केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री बनीं।
❖ वर्ष 1998 के लोकसभा चुनाव में वह सांसद के रूप में पुनः निर्वाचित हुई और उन्होंने भारत सरकार में सूचना और प्रसारण मंत्री का पद संभालने के साथ अतिरिक्त प्रभार के तौर पर दूरसंचार मंत्रालय भी संभाला।
❖ सुषमा स्वराज अक्टूबर, 1998 में दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं।
❖ इसके बाद, अप्रैल, 2000 में, वह फिर से राज्यसभा के लिए चुनी गईं और सितंबर, 2000 से जनवरी, 2003 तक सूचना और प्रसारण मंत्री बनीं तथा फिर जनवरी, 2003 से मई, 2004 तक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण और संसदीय मामलों की मंत्री रहीं।
❖ सुषमा स्वराज दिसंबर, 2009 से मई, 2014 तक विपक्ष की नेता रहीं।
❖ वर्ष 2014 में, वह 16 वीं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुईं। उन्होंने मई, 2014 से मई, 2019 तक भारत के विदेश मंत्री के रूप में कार्य किया।
❖ वह एक सक्षम प्रशासक और मानवीय स्पर्श वाली मिलनसार महिला थीं जिन्होंने विदेशों में संकट में फँसे भारतीयों की मदद करके एक अमिट छाप छोड़ी। इन गुणों के लिए, उन्हें 2017 में अमेरिकी दैनिक 'वॉल स्ट्रीट जर्नल' द्वारा "भारत की सबसे पसंदीदा राजनीतिज्ञ" घोषित किया गया था।
❖ 06 अगस्त, 2019 को सुषमा स्वराज का निधन हो गया।
❖ सुषमा स्वराज को भारत का दूसरा  सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘पद्म विभूषण’  (मरणोपरांत) दिया गया।
❖ सुषमा स्वराज को उनके असाधारण वाक् कौशल और दयालु दृष्टिकोण के लिए हमेशा याद किया जाएगा।

 हिरोशिमा दिवस (Hiroshima Day)


❖ द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 6 अगस्त, 1945 को अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा नगर पर ‘लिटिल बॉय’ नामक यूरेनियम बम से हमला किया था। इस परमाणु हमले से करीब 13 वर्ग किलोमीटर में भीषण तबाही मच गई थी। अंत: हर साल 6 अगस्त को हिरोशिमा दिवस मनाया जाता है।
❖ हिरोशिमा जापान का एक नगर है।
❖ यह परमाणु बम का किसी राष्ट्र के विरुद्ध विश्व स्तर पर प्रथम प्रयोग था।
❖ आज जापान विश्व का एकमात्र ऐसा देश है जिसके संविधान (अनुच्छेद 9) को "शांति का संविधान" कहा जाता है।
❖ 9 अगस्त, 1945 को जापान के दूसरे शहर नागासाकी पर भी ‘फैटमैन' नामक परमाणु बम गिराया गया था।
❖ कुल मृतकों की संख्या (हिरोशिमा व नागासाकी) 2,46,000 से ज्यादा।
❖ अमेरिका के इस परमाणु हमले के कई सालों बाद तक बम की विकिरण के प्रभाव से लोग मरते रहे।
❖ परमाणु विभीषिका झेलने के बाद जापान ने परमाणु शक्ति के शांतिपूर्ण इस्तेमाल और कभी परमाणु बम नहीं बनाने का निर्णय लिया।

Saturday, August 5, 2023

 लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई


◆ गोपीनाथ बोरदोलोई का जन्म 6 जून, 1890 को राहा (असम) में हुआ था।
◆ उनके माता प्राणेश्वरी देवी व पिता बुधेश्वर बोरदोलोई थे।
◆ गोपीनाथ बोरदोलोई ने वर्ष 1907 में मैट्रिक पास किया और कॉटन कॉलेज में दाखिला लिया। वर्ष 1909 में प्रसिद्ध स्कॉटिश चर्च कॉलेज, कलकत्ता में प्रवेश लिया और वर्ष 1911 में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने 1914 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से एम.ए. पास किया। उसके बाद 3 साल तक कानून की पढ़ाई की।
◆ वर्ष 1917 में गुवाहाटी में वकालत शुरू कर दी।
◆ गोपीनाथ बोरदोलोई का राजनीतिक जीवन तब शुरू हुआ जब वह उस वर्ष एक स्वयंसेवक के रूप में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए। असहयोग आंदोलन में सक्रिय भागीदारी के कारण वर्ष 1922 में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और 1 वर्ष के लिए जेल में भेज दिया गया।
◆ गोपीनाथ बोरदोलोई एक राजनीतिक उपकरण के रूप में अहिंसा के गाँधीवादी सिद्धांत के अनुयायी थे। असम और उसके लोगों के प्रति उनके निःस्वार्थ समर्पण के कारण, असम के तत्कालीन राज्यपाल जयराम दास दौलतराम ने उन्हें ‘लोकप्रिय’ की उपाधि से सम्मानित किया।
◆ वर्ष 1930 से 1933 तक उन्होंने खुद को राजनीतिक गतिविधियों से दूर रखा और गुवाहाटी नगर बोर्ड और स्थानीय बोर्ड के सदस्य बनने के बाद विभिन्न सामाजिक कार्यों में शामिल हो गए। इसके अलावा वह लगातार असम के लिए एक अलग यूनिवर्सिटी और हाईकोर्ट की माँग कर रहे थे।
◆ भारत की आजादी के बाद, उन्होंने कम्युनिस्ट चीन और पूर्वी पाकिस्तान के खिलाफ असम को सुरक्षित करने के लिए सरदार वल्लभभाई पटेल के साथ मिलकर काम किया और विभाजन के दौरान व्यापक हिंसा और धमकी के कारण पूर्वी पाकिस्तान से भाग गए, लाखों शरणार्थियों की वापसी का आयोजन भी किया।
◆ उनके काम ने सांप्रदायिक सद्भाव, लोकतंत्र और स्थिरता का आधार दिया जिसने पूर्वी पाकिस्तान की आजादी पर वर्ष 1971 के युद्ध तक असम को सुरक्षित और प्रगतिशील बनाए रखा।
◆ वह एक गहरे धार्मिक व्यक्ति थे और विशेष रूप से गीता से प्रभावित थे। वह एक अच्छे गायक भी थे और वैष्णव भक्ति गीत गाते थे।
◆ गोपीनाथ बोरदोलोई की मृत्यु 5 अगस्त, 1950 को हुई थी।

गोपीनाथ बोरदोलोई को दिए गए पुरस्कार-
(1) वर्ष 1999 में मरणोपरांत भारत रत्न
(2) गुवाहाटी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का नाम लोकप्रिय "गोपीनाथ बोरदोलोई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा " रखा गया।

Friday, August 4, 2023

 


Friday, August 4, 2023

CIET - NCERT TRAINING ( 07 - 11 AUGUST , 2023 )



CIET-NCERT is organizing an online training series on ‘NEP 2020: Recommendations on ET & ICT’ every second week of the month from 4:00 pm to 5:00 pm from Monday to Friday to orient the stakeholders on stakeholders of school education on the recommendations of NEP 2020 in leveraging digital technology. As a part of series for the month of August, CIET-NCERT is organizing five hours online training on “Leveraging Digital Technology for School and Teacher Education” from 7th August 2023 till 11th August 2023 from 4.00 pm - 5.00 pm. The sessions will shed light on major digital initiatives for School and Teacher Education in India to tap the understanding regarding the necessity, significance, advancement, and utilization of digital technology in education. This training will harness the knowledge and perspectives of various stakeholders involved in school education, including teachers, students, teacher educators, administrators, and other individuals.

TRAINING DATE - 07.08.2023 TO 11.08.2023

TIME - 04:00 PM TO 05:00 PM


CIET PORTAL FOR TRAINING INFORMATION



REGISTRATION LINK 



DAY 1 SESSION LINK

( UPDATED AT 4.00 PM ON 07.08.2023 )


DAY 2 SESSION LINK

( UPDATED AT 4.00 PM ON 08.08.2023 )



DAY 3 SESSION LINK

( UPDATED AT 4.00 PM ON 09.08.2023 )



DAY 4 SESSION LINK

( UPDATED AT 4.00 PM ON 10.08.2023 )



DAY 5 SESSION LINK

( UPDATED AT 4.00 PM ON 11.08.2023 )



FEEDBACK LINK

Thursday, August 3, 2023

 मुहणौत नैणसी


❖ मुहणौत नैणसी का जन्म 1610 में जोधपुर में हुआ था। इनके पिता का नाम जयमल था।
❖ वह जोधपुर के महाराजा जसवंत सिंह (1638 – 78 ई.) के समकालीन थे।
❖ नैंणसी को 1658 में जोधपुर राज्य का दीवान बनाया गया, दीवान के पद पर रहते हुए नैणसी ने चारणों, बडवा भाटों आदि से विभिन्न वंशों तथा राज्यों का इतिहास संगृहीत किया।
❖ शासकीय दस्तावेज भी उसके अधिकार में थे। इन सब स्रोतों के आधार पर उसने ख्यात की रचना की। जिसकी तुलना अबुल फजल के अकबरनामा से की जाती हैं।
❖ नैणसी ने अपनी ख्यात में मध्यकालीन राजस्थान के सभी राज्यों के अतिरिक्त गुजरात, काठियावाड़, कच्छ, बघेलखंड, बुंदेलखंड आदि राज्यों का इतिहास तथा मुगल राजपूत सम्बन्धों का वर्णन दिया हैं।
❖ नैणसी ने मध्यकालीन राजस्थानी समाज और संस्कृति के साथ साथ मन्दिरों, मठों, दुर्गों आदि के निर्माण भेंट, पूजा, बलि इत्यादि प्रकार तीर्थ यात्राओं तथा उनके महत्त्व का विवेचन, सगाई विवाह आदि रस्मों का वर्णन, रीति-रिवाज, पर्व, त्योहारों आदि का भी उल्लेख किया हैं।
❖ “नैणसी री ख्यात” में नगर कस्बों तथा गाँवों के इतिहास वर्णन के साथ-साथ वहाँ की भौगोलिक स्थिति तथा स्थापत्य का वर्णन भी मिलता है।
❖ नैणसी की दूसरी रचना “मारवाड़ रा परगना री विगत” है, जिसमें मारवाड़ राज्य के परगनों की राजस्व व्यवस्था तथा राज्य की आय अनेक स्रोतों का वर्णन हैं।
❖ मुंशी देवीप्रसाद ने मुहणौत नैणसी को राजपूताने का ‘अबुल फजल’ कहा है।
❖ मुहणौत नैणसी की मारवाड़ रा परगना री विगत अबुल फजल के ‘आइन-ए-अकबरी’ के समान एक प्रशासनिक ग्रंथ हैं। इसलिए नैणसी को अबुल फजल की संज्ञा देना अतिशयोक्ति नहीं है।
❖ मुहणौत नैणसी कुशल शासन प्रबन्धक भी था। उन्होंने परगनों की राजस्व व्यवस्था में सुधार कर उनकी आय बढ़ाने के प्रयास किये। नैणसी महाराजा जसवंतसिंह का विश्वासपात्र था। इसी कारण राजकुमार पृथ्वीसिंह की शिक्षा दीक्षा का जिम्मा भी नैणसी को सौंपा गया।
❖ नैणसी ने दीवान रहते हुए राज्य के उच्च पदों पर अपने रिश्तेदारों की नियुक्तियाँ कर दी थी। जिन्होंने प्रजा पर अत्याचार किए। इससे महाराजा जसवंतसिंह ने नाराज होकर नैणसी को कैद कर लिया और उस पर एक लाख का जुर्माना लगाया गया। इसलिए नैणसी ने 3 अगस्त, 1670 को जेल में आत्म हत्या कर ली।

Wednesday, August 2, 2023

 पिंगली वेंकैया


● पिंगली वेंकैया का जन्म 2 अगस्त, 1876 को आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में हुआ था।
● पिंगली वेंकैया ने अफ्रीका में एंग्लो बोअर युद्ध के दौरान दक्षिण अफ्रीका में ब्रिटिश सेना में एक सैनिक के रूप में कार्य किया। गाँधीवादी सिद्धांतों में दृढ़ विश्वास रखने वाले और कट्टर राष्ट्रवादी वेंकैया की मुलाकात युद्ध के दौरान महात्मा से हुई।
● वह विजयवाड़ा में एक बार फिर महात्मा से मिले और उन्हें झंडे के विभिन्न डिजाइनों के साथ अपना प्रकाशन दिखाया। राष्ट्रीय ध्वज की आवश्यकता को स्वीकार करते हुए, गाँधीजी ने 1921 में राष्ट्रीय कांग्रेस की बैठक में वेंकैया को एक नया ध्वज डिजाइन करने के लिए कहा।
● प्रारंभ में, वेंकैया केसरिया और हरे रंग के साथ आए, लेकिन बाद में यह केंद्र में चरखे और तीसरे रंग-सफेद के साथ विकसित हुआ। इस झंडे को आधिकारिक तौर पर 1931 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा अपनाया गया था।
● पिंगली वेंकैया एक स्वतंत्रता सेनानी और भारतीय राष्ट्रीय तिरंगे के डिजाइनर थे जो आगे चलकर स्वतंत्र और स्वतंत्र भारत की भावना का पर्याय बन गए। आज हम जो राष्ट्रीय ध्वज देखते हैं वह उन्हीं के डिज़ाइन पर आधारित था। स्वतंत्रता संग्राम में उनके जीवन और योगदान को बमुश्किल प्रलेखित किया गया है।
● वर्ष 2009 में उनकी स्मृति में एक डाक टिकट भी जारी किया गया और 2014 में आंध्र प्रदेश सरकार ने भारत रत्न के लिए उनके नाम की सिफारिश की।
● वर्ष 2015 में आकाशवाणी विजयवाड़ा का नाम बदलकर वेंकैया के नाम पर रखा और इसके परिसर में उनकी प्रतिमा का अनावरण किया।

 दादरा एवं नगर हवेली मुक्ति दिवस


● हर वर्ष 2 अगस्त को दादरा एवं नगर हवेली मुक्ति दिवस के रूप में मनाया जाता है।
● दादरा एवं नगर हवेली को पुर्तगलियों से आजाद कराने और भारत में शामिल करने हेतु,भारतीय सशस्त्र सेनाओं द्वारा ‘ऑपरेशन विजय’ चलाया गया था। यह भारत कर तीनों सशस्त्र बलों का पहला संयुक्त कमांडों ऑपरेशन था। जिसमें दादरा एवं नगर हवेली के साथ-साथ गोवा, दमन, दीव को भी भारत में शामिल किया गया।
● पुर्तगालियों ने सन् 1783 से 1785 के बीच दादरा एवं नगर हवेली पर कब्जा कर लिया था और वर्ष 1954 में इसकी मुक्ति तक इस पर शासन किया।
● उनके शासनकाल में सरकार और उसके अधिकारियों की लोलुपता एवं भ्रष्टाचार तथा मुट्ठी भर साहूकारों द्वारा स्थानीय आदिवासी समुदाय का शोषण और लोगों के कल्याण के प्रति उदासीनता दृष्टिगोचर होती थी।
● 2 अगस्त, 1954 को गोवा के स्वयंसेवकों द्वारा स्थानीय निवासियों के घनिष्ठ सहयोग से लगभग 170 वर्षों के पुर्तगाली शासन का अंत किया गया था।
● 12 जून, 1961 को वरिष्ठ पंचायत ने सर्वसम्मति से भारतीय संघ के साथ एकीकरण का संकल्प पारित किया।
● 11अगस्त, 1961 को संसद द्वारा पारित दादरा एवं नगर हवेली अधिनियम, 1961 (1961 की सं. 35) द्वारा यह प्रदेश राष्ट्रीय स्तर पर एक हो गया। इसके परिणामस्वरूप, मुक्त दादरा एवं नगर हवेली प्रशासन का स्थान प्रशासक दादरा एवं नगर हवेली की अगुवाई वाले एक औपचारिक वैधानिक प्रशासन द्वारा ले लिया गया, जिसमें एक ही जिले से 72 गाँव और एक वैधानिक कस्बा और 5 जनगणना शहर और एक तालुका केंद्र शासित प्रदेश के रूप में शामिल थे।
● 26 जनवरी, 2020 को दादरा एवं नगर हवेली तथा दमन एवं दीव के नए केंद्र शासित प्रदेश के गठन के लिए इस केंद्र शासित प्रदेश को अपने पड़ोसी संघ प्रदेश दमन एवं दीव के साथ मिला दिया गया। दादरा एवं नगर हवेली का क्षेत्र तब दादरा एवं नगर हवेली जिले के रूप में नए केंद्र शासित प्रदेश के तीन जिलों में से एक बन गया।

Tuesday, August 1, 2023

 पुरुषोत्तम दास टंडन


● पुरुषोत्तम दास टंडन का जन्म 1 अगस्त, 1882 इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ था।यह आधुनिक भारत' के प्रमुख स्वाधीनता सेनानियों में से एक थे।यह'राजर्षि' के नाम से भी प्रसिद्ध थे।
● इनकी प्रारंभिक शिक्षा 'सिटी एंग्लो वर्नाक्यूलर विद्यालय' में हुई थी। इसके बाद इन्होंने एल.एल.बी. की डिग्री हासिल की और इतिहास विषय से एम.ए. किया।
● वर्ष 1906 में वकालत की प्रैक्टिस के लिए पुरुषोत्तम जी ने 'इलाहाबाद उच्च न्यायालय' में काम करना शुरू किया।
● पुरुषोत्तम दास टंडन ने 10 अक्टूबर, 1910 को 'नागरी प्रचारिणी सभा', वाराणसी के प्राँगण में 'हिन्दी साहित्य सम्मेलन',1918 में 'हिन्दी विद्यापीठ' और 1947 में 'हिन्दी रक्षक दल' की स्थापना की।
● पुरुषोत्तम जी हिन्दी को देश की आज़ादी के पहले 'आज़ादी प्राप्त करने का' और आज़ादी के बाद 'आज़ादी को बनाये रखने का' एक बड़ा साधन मानते थे।'
● पुरुषोत्तम दास टंडन हिन्दी में भारत की मिट्टी की सुगंध महसूस करते थे। 'हिन्दी साहित्य सम्मेलन' के 'इंदौर अधिवेशन' में स्पष्ट घोषणा की गई थी कि- "अब से राजकीय   सभाओं,कांग्रेस की प्रांतीय सभाओं और अन्य सम्मेलनों में अंग्रेज़ी का एक शब्द भी सुनाई न पड़े।"
● पुरुषोत्तम जी को वर्ष 1919 में 'जलियाँवाला बाग़ हत्याकांड' का जाँच करने वाली कांग्रेस पार्टी की समिति के सदस्य बनाये गए थे। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के कहने पर पुरुषोत्तम जी ने वकालत को छोड़कर स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया। उन्होंने 'रॉलेट एक्ट' विरोधी सत्याग्रह में में भाग लिया था।
● वर्ष 1930 में महात्मा गाँधी द्वारा चलाये जा रहे 'सविनय अवज्ञा आन्दोलन' के सिलसिले में गिरफ्तार कर लिया गया। बाद में उन्होंने इलाहाबाद में 'कृषक आन्दोलन' का संचालन किया। उन्होंने उत्तर प्रदेश में 'सविनय अवज्ञा आन्दोलन' का भी संचालन किया। वे संयुक्त प्रांत व्यवस्थापिका परिषद् के सदस्य बने तथा वर्ष1937 में इसके अध्यक्ष भी नियुक्त हुए।
● पुरुषोत्तम दास टंडन ने भारत के विभाजन का डटकर विरोध किया। 1931 में लंदन में आयोजित 'गोलमेज सम्मेलन' से गाँधीजी के वापस लौटने से पहले जिन स्वतंत्रता सेनानियों को गिरफ्तार किया गया था, उनमें जवाहर लाल नेहरू के साथ पुरुषोत्तम दास टंडन भी थे।
● वर्ष 1950 में वे 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष नियुक्त हुए थे। पुरुषोत्तम दास टंडन को भारत के राजनीतिक और सामाजिक जीवन में नयी चेतना, नयी लहर, नयी क्रान्ति पैदा करने वाला कर्मयोगी कहा गया है।
● वर्ष 1961 में हिन्दी भाषा को देश में अग्रणी स्थान दिलाने में अहम भूमिका निभाने के लिए उन्हें देश का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार 'भारत रत्न' से भी सम्मानित किया गया था।
● पुरुषोत्तम जी संविधान सभा, लोक सभा और राज्य सभा के भी सदस्य रहे थे।
● राष्ट्रभाषा हिन्दी के लिए समर्पित पुरुषोत्तम दास टंडन जी का निधन 1 जुलाई, 1962 को हुआ।

 बाल गंगाधर तिलक


● बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई, 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी में हुआ था।
● तिलक के पिता गंगाधर रामचन्द्र तिलक संस्कृत के विद्वान थे।
● उन्होंने अपनी अधिकांश शिक्षा पुणे में प्राप्त की थी। मैट्रिक के पश्चात् उन्होंने पुणे के दक्कन कॉलेज में प्रवेश लिया। गणित को मुख्य विषय के रूप में लेकर उन्होंने बी. ए. की परीक्षा में प्रथम श्रेणी प्राप्त की और 1879 में कानून की डिग्री प्राप्त की।
● वह हिंदू धर्मग्रंथों के अच्छे ज्ञाता थे तथा राजनीति और तत्त्व मीमांसा संबंधी पश्चिमी विचारों से भी काफी प्रभावित थे। उन्हें विशेष रूप से वॉल्टेयर, रूसो, हेगेल, कान्ट, स्पेन्सर, मिल और बेन्थम प्रिय थे।
● उन्होंने अपने तीन मित्रों - जी. जी. अगरकर, एम. ए. चिपलुणकर और महादेव बी. नामजोशी के साथ मिलकर 1880 में पुणे में न्यू इंग्लिश स्कूल की स्थापना की और बाद में वर्ष 1884 और 1885 में पुणे में क्रमशः दक्कन एजुकेशन सोसायटी और फ‌र्ग्यूसन कॉलेज की स्थापना की।
● उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करते हुए 1881 में अंग्रेजी साप्ताहिक पत्रिका 'मराठा' और मराठी साप्ताहिक पत्रिका 'केसरी' नामक दो पत्रिकाएँ शुरू कर जनता को शिक्षित करने का कार्य किया।
● वर्ष 1900 से 1908 तक का समय भारत में क्रांतिकारी राष्ट्रवाद के जन्म का समय था। बिपिन चन्द्र पाल और लाला लाजपत राय के साथ लोकमान्य तिलक, जिनकी तीक्ष्ण राजनीतिक दूरदृष्टि थी, हमारे राष्ट्रीय आकाश में उभरते सितारों के रूप में सामने आए।
● वर्ष 1908 में राजद्रोह के आरोप में उन्हें गिरफ्तार कर छह वर्ष के लिए बर्मा की मांडले जेल में कैद कर दिया गया। मांडले जेल में उन्होंने एक विशद दार्शनिक पुस्तक 'गीता रहस्य' लिखी जिसमें भगवद् गीता का संदेश और जीवन की उनकी अपनी व्याख्या शामिल है।
● 1914 में मांडले जेल से रिहा होने के बाद तिलक होम रूल आंदोलन से जुड़ गए। एनी बेसेंट के साथ तिलक ने संयुक्त रूप से जो आंदोलन चलाया, वह उनकी जन-आधारित राजनीति का भाग था। 'होम रूल' का प्रचार करने के लिए उन्होंने एनी बेसेंट के साथ पूरे राष्ट्र का दौरा किया। 
● उनके प्रसिद्ध नारे, "स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा" ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान लाखों लोगों को प्रेरित किया। तिलक एक महान विद्वान और दूरदृष्टा थे, जिन्हें राष्ट्र 'लोकमान्य' के रूप में जानता है।
● तिलक का निधन 1 अगस्त, 1920 को हुआ था।

 सरदार उधम सिंह


“अपनी मातृभूमि के खातिर जान देने से बड़ा सम्मान मेरे लिए और क्या हो सकता है।”

⬧ ‘शहीद-ए-आजम’ सरदार उधम सिंह का जन्म 26 दिसम्बर, 1899 को पंजाब के संगरूर ज़िले के सुनाम में हुआl
⬧ इनके बचपन का नाम शेरसिंह था।
⬧ अपने माता-पिता की मृत्यु के पश्चात् शेर सिंह अपने बड़े भाई मुक्ता सिंह के साथ अमृतसर के सेंट्रल खालसा अनाथालय में रहने लगे तथा अनाथालय में रहने के दौरान शेरसिंह ने सिख दीक्षा संस्कार का संचालन किया और इसके बाद शेर सिंह को उधम सिंह के नाम से जाना जाने लगा।
⬧ वे भगतसिंह से बहुत प्रभावित थे तथा उन्हें अपना गुरु मानते थे।
⬧ 13 अप्रैल, 1919 को जलियाँवाला हत्याकांड के बाद वे क्रांतिकारी गतिविधियों और राजनीति में सक्रिय हो गए।
⬧ सरदार उधम सिंह  वर्ष 1924 में औपनिवेशिक शासन को उखाड़ फेंकने के उद्देश्य से प्रवासी भारतीयों को संगठित करने के लिए ‘गदर पार्टी’ में शामिल हुए।
⬧ वर्ष 1927 में क्रांतिकारी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए सहयोगियों और हथियारों के साथ भारत लौटते समय उन्हें अवैध रूप से आग्नेयास्त्र रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया तथा पाँच साल की जेल की सज़ा सुनाई गई।
⬧ 13 मार्च, 1940 को उधम सिंह ने ‘ईस्ट इंडिया एसोसिएशन’ और ‘रॉयल सेंट्रल एशियन सोसायटी’ की कैक्सटन हिल में एक बैठक में माइकल ओ. डायर को गोली मार दी।
⬧ उधम सिंह को मृत्युदंड दिया गया तथा 31 जुलाई, 1940 को लंदन के पेंटनविले जेल में इन्हें फाँसी दे दी गई।

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