Tuesday, August 1, 2023

 बाल गंगाधर तिलक


● बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई, 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी में हुआ था।
● तिलक के पिता गंगाधर रामचन्द्र तिलक संस्कृत के विद्वान थे।
● उन्होंने अपनी अधिकांश शिक्षा पुणे में प्राप्त की थी। मैट्रिक के पश्चात् उन्होंने पुणे के दक्कन कॉलेज में प्रवेश लिया। गणित को मुख्य विषय के रूप में लेकर उन्होंने बी. ए. की परीक्षा में प्रथम श्रेणी प्राप्त की और 1879 में कानून की डिग्री प्राप्त की।
● वह हिंदू धर्मग्रंथों के अच्छे ज्ञाता थे तथा राजनीति और तत्त्व मीमांसा संबंधी पश्चिमी विचारों से भी काफी प्रभावित थे। उन्हें विशेष रूप से वॉल्टेयर, रूसो, हेगेल, कान्ट, स्पेन्सर, मिल और बेन्थम प्रिय थे।
● उन्होंने अपने तीन मित्रों - जी. जी. अगरकर, एम. ए. चिपलुणकर और महादेव बी. नामजोशी के साथ मिलकर 1880 में पुणे में न्यू इंग्लिश स्कूल की स्थापना की और बाद में वर्ष 1884 और 1885 में पुणे में क्रमशः दक्कन एजुकेशन सोसायटी और फ‌र्ग्यूसन कॉलेज की स्थापना की।
● उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करते हुए 1881 में अंग्रेजी साप्ताहिक पत्रिका 'मराठा' और मराठी साप्ताहिक पत्रिका 'केसरी' नामक दो पत्रिकाएँ शुरू कर जनता को शिक्षित करने का कार्य किया।
● वर्ष 1900 से 1908 तक का समय भारत में क्रांतिकारी राष्ट्रवाद के जन्म का समय था। बिपिन चन्द्र पाल और लाला लाजपत राय के साथ लोकमान्य तिलक, जिनकी तीक्ष्ण राजनीतिक दूरदृष्टि थी, हमारे राष्ट्रीय आकाश में उभरते सितारों के रूप में सामने आए।
● वर्ष 1908 में राजद्रोह के आरोप में उन्हें गिरफ्तार कर छह वर्ष के लिए बर्मा की मांडले जेल में कैद कर दिया गया। मांडले जेल में उन्होंने एक विशद दार्शनिक पुस्तक 'गीता रहस्य' लिखी जिसमें भगवद् गीता का संदेश और जीवन की उनकी अपनी व्याख्या शामिल है।
● 1914 में मांडले जेल से रिहा होने के बाद तिलक होम रूल आंदोलन से जुड़ गए। एनी बेसेंट के साथ तिलक ने संयुक्त रूप से जो आंदोलन चलाया, वह उनकी जन-आधारित राजनीति का भाग था। 'होम रूल' का प्रचार करने के लिए उन्होंने एनी बेसेंट के साथ पूरे राष्ट्र का दौरा किया। 
● उनके प्रसिद्ध नारे, "स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा" ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान लाखों लोगों को प्रेरित किया। तिलक एक महान विद्वान और दूरदृष्टा थे, जिन्हें राष्ट्र 'लोकमान्य' के रूप में जानता है।
● तिलक का निधन 1 अगस्त, 1920 को हुआ था।

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