Wednesday, August 9, 2023

 काकोरी ट्रेन एक्शन


9 अगस्त, 1925 को देश के अमर सपूतों ने इस ऐतिहासिक घटना को अंजाम दिया।
9 अगस्त, 1925 को हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सदस्यों ने उत्तर प्रदेश के सहारनपुर-लखनऊ लाइन पर 8 डाउन रेलगाड़ी को काकोरी नामक गाँव में रोककर सरकारी विभाग के खजाने को अपने अधिकार में ले लिया। तत्कालीन ब्रिटिश भारत की सरकार इस घटना से अत्यन्त क्रोधित हो गई। उसने भारी संख्या में क्रांतिकारियों को गिरफ्तार कर उन पर काकोरी षड्यंत्र का मुकदमा चलाया।
इस घटना को हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के क्रांतिकारी रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान, राजेंद्र लाहिड़ी, केशव चक्रवती, मुकुंदीलाल, बनवारी लाल समेत 10 क्रान्तिकारियों ने अंजाम दिया था।
इस घटना से पहले क्रांतिकारियों ने स्वतंत्रता आंदोलन को गति देने के लिए धन की तत्काल व्यवस्था के चलते शाहजहाँपुर में बैठक की।
स्वतंत्रता सेनानी रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान और रोशन सिंह को काकोरी षड्यंत्र में शामिल होने के आरोप में 19 दिसंबर, 1927 को फाँसी दे दी गई थी।
शचीन्द्र सान्याल को आजीवन कारावास मिला।
'दक्षिणेश्वर बम कांड' के इस अल्प-ज्ञात मामले का मार्गदर्शन करने वाले लाहिड़ी को दस साल की सज़ा सुनाकर अंडमान के सेलुलर जेल भेज दिया गया।
उत्तर प्रदेश सरकार ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास के एक महत्त्वपूर्ण आंदोलन 'काकोरी कांड' का नाम बदलकर 'काकोरी ट्रेन एक्शन' कर दिया है क्योंकि 'कांड' शब्द भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हुई घटना के अपमान के भाव को दर्शाता है।

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