आचार्य विनोबा भावे
▪️आचार्य विनोबा भावे का जन्म 11 सितंबर, 1895 को गागोडे, बॉम्बे प्रेसीडेंसी (अब महाराष्ट्र में) में हुआ था।
▪️उनके पिता का नाम नरहरि शंभू राव और माता का नाम रुक्मिणी देवी था। उन पर उनकी माँ का बहुत प्रभाव था।
▪️भारत के सबसे प्रसिद्ध समाज सुधारकों में से एक और महात्मा गाँधी के व्यापक रूप से सम्मानित शिष्य थे। साथ ही भूदान यज्ञ के संस्थापक (भूमि-उपहार आंदोलन) भी थे।
▪️वर्ष 1916 में अहमदाबाद के पास साबरमती में गाँधीजी के आश्रम में शामिल होने के लिए अपनी हाई स्कूल की पढ़ाई छोड़ दी।
▪️उन्होंने असहयोग के कार्यक्रमों में भाग लिया और विशेषकर विदेशी आयात के स्थान पर स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग का आह्वान किया।
▪️वर्ष 1940 में उन्हें भारत में गाँधी जी द्वारा ब्रिटिश राज के खिलाफ पहले व्यक्तिगत सत्याग्रही के रूप में चुना गया था।
▪️उन्हें आचार्य (शिक्षक) की उपाधि से सम्मानित किया गया था।
▪️उन्होंने गाँधी जी द्वारा स्थापित उदाहरणों से प्रभावित होकर, उन लोगों का मुद्दा उठाया, जिन्हें गाँधी जी द्वारा हरिजन कहा जाता था।
▪️उन्होंने गाँधी जी से सर्वोदय शब्द अपनाया जिसका अर्थ है ‘सभी के लिए प्रगति’।
▪️उनके अधीन सर्वोदय आंदोलन ने 1950 के दशक के दौरान विभिन्न कार्यक्रमों को लागू किया, जिनमें से प्रमुख भूदान आंदोलन है।
▪️वर्ष 1951 में तेलंगाना के पोचमपल्ली गाँव के हरिजनों ने उनसे गुजारा करने के लिए करीब 80 एकड़ जमीन देने का अनुरोध किया।
▪️विनोबा ने गाँव के जमींदारों को आगे आने और हरिजनों को बचाने के लिए आह्वान किया तब एक जमींदार ने आवश्यक भूमि की पेशकश की। इस घटना ने बलिदान और अहिंसा के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा। यह भूदान (भूमि का उपहार) आंदोलन की शुरुआत थी।
▪️महात्मा गाँधी की शिक्षाओं की तर्ज पर आत्मनिर्भरता के उद्देश्य से वर्ष 1959 में महिलाओं के लिए एक छोटा समुदाय, ब्रह्म विद्या मंदिर की स्थापना की। उन्होंने गोहत्या पर कड़ा रुख अपनाया और भारत में इसके प्रतिबंधित होने तक उपवास पर जाने की घोषणा की।
▪️उनकी महत्त्वपूर्ण पुस्तकों में शामिल हैं: स्वराज्य शास्त्र, गीता प्रवचन, तीसरी शक्ति आदि।
▪️आचार्य विनोबा भावे का निधन वर्ष 1982 में वर्धा, महाराष्ट्र हुआ था।
▪️विनोबा भाबे 1958 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले अंतरराष्ट्रीय व्यक्ति थे। उन्हें 1983 में मरणोपरांत भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था।
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