Friday, June 16, 2023

 चित्तरंजन दास

एनेछिले साथे करे मृत्युहीन प्रान।
मरने ताहाय तुमी करे गेले दान।।
● चित्तरंजन दास का जन्‍म 5 नवंबर, 1870 को कोलकाता (तत्कालीन कलकत्ता) में हुआ था।
● उनके पिता भुबन मोहन दास कोलकाता उच्‍च न्‍यायालय में एक जाने माने वकील थे।
● ब्रह्म समाज के एक कट्टर समर्थक देशबंधु अपनी तीक्ष्‍ण बुद्ध‍ि और पत्रकारीय दृष्टिकोण के लिए जाने जाते थे। चित्तरंजन दास कोलकाता उच्च न्यायालय के विख्यात वक़ील थे, जिन्होंने अलीपुर बम केस में अरविन्द घोष की पैरवी की थी।
● चित्तरंजन दास ने अपनी चलती हुई वकालत छोड़कर गाँधीजी के असहयोग आंदोलन में भाग लिया और पूर्णतया राजनीति में आ गए।
● उन्होंने विलासी जीवन व्यतीत करना छोड़ दिया और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सिद्धान्तों का प्रचार करते हुए सारे देश का भ्रमण किया।
● वे कोलकाता के नगर प्रमुख निर्वाचित हुए। उनके साथ सुभाषचन्द्र बोस कोलकाता निगम के मुख्य कार्याधिकारी नियुक्त हुए।
● चित्तरंजन दास वर्ष 1922 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष नियुक्त हुए थे।
● उन्होंने मोतीलाल नेहरू और एन. सी. केलकर के सहयोग से 'स्वराज्य पार्टी' की स्थापना की, जिसका उद्देश्य था कि विधानमंडलों में प्रवेश किया जाए और आयरलैण्ड के देशभक्त श्री पार्नेल की कार्यनीति अपनाते हुए वर्ष 1919 के भारतीय शासन विधान में सुधार करने अथवा उसे नष्ट करने का प्रयत्न किया जाए।
● चित्तरंजन दास का 16 जून, 1925 को उनका निधन हो गया।

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