उत्कल दिवस
● प्रतिवर्ष 1 अप्रैल को ओडिशा में उत्कल दिवस अथवा ओडिशा दिवस का आयोजन किया जाता है।● ओडिशा 1 अप्रैल, 1936 को अस्तित्व में आया था।
● वर्ष 1947 में स्वतंत्रता के पश्चात् ओडिशा तथा आस-पास की रियासतों ने नवगठित भारत सरकार को अपनी सत्ता सौंप दी थी।
● राज्य को एक अलग ब्रिटिश भारत प्रांत के रूप में स्थापित किया गया था और उसी की याद में तथा राज्य के सभी नागरिकों के बीच एकता की भावना को बढ़ावा देने के लिए इस दिवस का आयोजन किया जाता है।
● प्राचीन भारत में उड़ीसा (ओडिशा) कलिंग साम्राज्य का हिस्सा था, 261 ईसा पूर्व में अशोक द्वारा इसे जीत लिया गया, जिसके पश्चात् लगभग एक सदी तक यहाँ मौर्य वंश का शासन रहा।
● 7वीं से 13वीं शताब्दी तक ‘कलिंग स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर’ का विकास हुआ।
● इस अवधि के सबसे महत्त्वपूर्ण स्मारक भुवनेश्वर और पुरी में और उसके आसपास देखे जा सकते हैं।
● मुक्तेश्वर मंदिर कलिंग की वास्तुकला का बेहतरीन नमूना है। भुवनेश्वर का लिंगराज मंदिर, पुरी का जगन्नाथ मंदिर, विश्व प्रसिद्ध विश्व धरोहरों में सबसे ऊपर, कोणार्क का सूर्य मंदिर, मंदिर वास्तुकला और मूर्तिकला का प्रतीक है।
● कोणार्क मंदिर के निर्माण में राज्य के 12 वर्षों के राजस्व का उपयोग किया गया जिसकी तुलना शक्तिशाली मुग़ल साम्राज्य से की जा सकती है, जिसने विश्व प्रसिद्ध ताजमहल के निर्माण के लिए 12 वर्षों के अपने संसाधनों का भी उपयोग किया था।
● उत्कल गौरव मधुसूदन दास आधुनिक ओडिशा के निर्माता थे।
● उल्लेखनीय है कि ओडिशा, भारत का ऐसा तीसरा राज्य है जहाँ आदिवासियों की जनसंख्या अधिक है।
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