Thursday, April 6, 2023

                      दांडी मार्च

◾️  भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में दांडी मार्च सबसे प्रभावशाली प्रतीकात्मक आन्दोलन रहा है।
◾️  दांडी यात्रा के बाद ब्रिटिश हुकुमत की औपनिवेशिक सत्ता दबाव में आने लगी थी।
◾️  इस आन्दोलन के माध्यम से महात्मा गाँधी ने एक बार फिर दुनिया को सत्य और अहिंसा की ताकत का परिचय करवाया।
◾️  भारत में नमक बनाने की परम्परा प्राचीन काल से रही है। परम्परागत ढंग से नमक बनाने का काम किसानों द्वारा किया जाता रहा है, जिसे नमक किसान भी कहा जाता था।
◾️  बिहार और कई अन्य प्रान्तों में यह कार्य ख़ास जाति के हवाले था। धीरे-धीरे नमक बनाने की तकनीक में सुधार आरंभ हुआ था लेकिन समय के साथ नमक जरूरत की वस्तु की बजाय व्यापार की वस्तु बनने लगा था।
◾️  2 मार्च, 1930 को लॉर्ड इरविन को लिखे एक पत्र में गाँधीजी कहते हैं, “राजनीतिक दृष्टि से हमारी स्थिति गुलामों से अच्छी नहीं है, हमारी संस्कृति की जड़ ही खोखली कर दी गई है। हमारा हथियार छीनकर हमारा सारा पौरुष अपहरण कर लिया गया है।” इसी पत्र में वे आगे लिखते हैं, “इस पत्र का हेतु कोई धमकी देना नहीं है। यह तो सत्याग्रही का साधारण और पवित्र कर्तव्य मात्र है इसलिए मैं इसे भेज भी खासतौर पर एक ऐसे युवा अंग्रेज मित्र के हाथ रहा हूँ, जो भारतीय पक्ष का हिमायती है, जिसका अहिंसा पर पूर्ण विश्वास है और जिसे शायद विधाता ने इसी काम के लिए मेरे पास भेजा है।”
◾️  जिस अंग्रेज युवक का गाँधीजी ने जिक्र किया, उसका नाम रेजिनॉल्ड रेनॉल्ड था। यह युवक गाँधीजी के साथ आश्रम में रह चुका था और गाँधीजी की नीतियों पर पूरा यकीन रखता था। लॉर्ड इरविन को पत्र लिखने के पीछे गाँधीजी का उद्देश्य चेतावनी की बजाय सूचना देना था क्योंकि वे गरीबों के दृष्टि से इस क़ानून को सबसे अधिक अन्यायपूर्ण मानते थे।
◾️  तय कार्यक्रम के अनुसार 12 मार्च को साबरमती आश्रम से दांडी मार्च प्रारंभ हुआ। ठीक साढ़े छह बजे गाँधीजी ने अपने 79 अनुयायियों के साथ आश्रम छोड़ा और मार्च आरंभ किया। दांडी तक की 241 मील की दूरी उन्होंने 24 दिन में पूरी की।
◾️  दांडी यात्रा के दौरान यह तय किया गया कि नमक कानून पर ही लोग अपनी शक्ति केंद्रित रखे और साथ ही यह चेतावनी भी दी गई कि गाँधीजी के दांडी पहुँचकर नमक तोड़ने से पहले सविनय अवज्ञा शुरू नहीं की जाएगी।
◾️  4 अप्रैल, 1930 को रात्रि में पदयात्रा ने दांडी में प्रवेश किया। 5 अप्रैल की प्रातः खादी धारण किए हुए सैंकड़ों गाँधीवादी सत्याग्रही दांडी तट पर एकत्र हुए। दांडी में प्रेस वार्ता भी आयोजित की गई। सरोजिनी नायडू, डॉ. सुमंत, अब्बास तैय्यबजी, मिट्ठूबेन पेटिट भी गाँधीजी से मिलने आए। अपने संबोधन में गाँधीजी ने अगले दिन सुबह नमक कानून तोड़ने की जानकारी दी।
◾️  6 अप्रैल को प्रातः दांडी तट पर नमक हाथ में लेकर गाँधीजी ने नमक कानून तोड़ा। ब्रिटिश कानून के तहत उन्हें हिरासत में लिया गया। यहीं से सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत हुई।
◾️  नमक सत्याग्रह के दौरान महात्मा गाँधी सहित 60,000 लोगों को गिरफ्तार किया गया।
◾️  भारत की आजादी का यह सबसे महत्त्वपूर्ण पड़ाव था, जो दांडी यात्रा के बीज से निकला था। गाँधीजी की दांडी यात्रा के साथ भारत भर में राष्ट्रीय चेतना की लहर चल पड़ी।

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