सर सैय्यद अहमद खान
सर सैय्यद अहमद खान का जन्म 17 अक्टूबर, 1817 में दिल्ली के सैय्यद घराने में हुआ। उनके पिता सैय्यद मुतक्की मुहम्मद शाह अकबर सानी के सलाहकार थे।
सर सैय्यद को पहली नौकरी आगरा की अदालत में नायब मुंशी के रूप में मिली।
सैय्यद को ब्रिटिश सरकार द्वारा ‘सर’ के ख़िताब से नवाज़ा गया।
इन्होंने गाज़ीपुर में साइंटिफिक सोसाइटी की स्थापना की।
1870 ई. में इन्होंने ‘तहज़ीबुल अखलाक़’ का प्रकाशन शुरू किया।
साइंटिफिक सोसायटी का उद्देश्य पश्चिमी भाषाओं लिखी गई किताबों का उर्दू में अनुवाद करना था और ‘तहज़ीबुल अखलाक़’ के प्रकाशन का उद्देश्य आम मुसलमानों की प्रतिभा को निखारना था।
सर सैय्यद ने अलीगढ़ आंदोलन को एक नया रूप प्रदान किया था।
उनकी रचनाओं में ‘आसारुस सनादीद’, ‘असबाबे बगावते हिन्द’,खुत्बाते अहमदिया’,’तफसीरुल क़ुरान’,’तारीख़े सरकशी बिजनौर’ इत्यादि शामिल हैं।
एक महान शिक्षण आंदोलन के प्रवर्तक सर सैय्यद अहमद खान का देहांत 27 मार्च 1898 में हुआ।
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