विश्व सामाजिक न्याय दिवस
● प्रतिवर्ष 20 फरवरी को ‘विश्व सामाजिक न्याय दिवस’ (World Day of Social Justice-WDSJ) मनाया जाता है।● इसका प्रमुख उद्देश्य गरीबी उन्मूलन, पूर्ण रोजगार और समुचित कार्य को बढ़ावा देना, लैंगिक समानता स्थापित करना, सामाजिक कल्याण तक पहुंच और सभी के लिए न्याय के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के प्रयासों को बढ़ावा देना है।
● सामाजिक न्याय का तात्पर्य देशों के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और विकास के लिए आवश्यक सिद्धांत से है, जो न केवल अंत:देशीय समानता अपितु अंतर्देशीय समानता की परिस्थितियों से भी संबंधित है।
● सामाजिक न्याय की संकल्पना को आगे बढ़ाने हेतु समाज में लिंग, उम्र, नस्ल, जातीयता, धर्म, संस्कृति या विकलांगता जैसे मानकों की असमानता को समाप्त करना होगा।
● वर्ष की 2023 की थीम- ‘सामाजिक न्याय के लिए बाधाओं पर काबू पाना और अवसरों को उजागर करना’ (Overcoming Barriers and Unleashing Opportunities for Social Justice) है।
● अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा निष्पक्ष वैश्वीकरण के लिए सर्वसम्मति से 10 जून, 2008 को सामाजिक न्याय पर अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के घोषणा पत्र को अपनाया गया।
● वर्ष 1919 से अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के द्वारा अपनाए गए यह प्रमुख 3 घोषणा पत्र सिद्धांतों में से एक था। अन्य दो प्रमुख अपनाए गए महत्वपूर्ण सिद्धांतों में वर्ष 1944 का फिलाडेल्फिया घोषणा पत्र और वर्ष 1998 के ‘कार्य में मौलिक सिद्धांतों और अधिकारों की घोषणा’ था।
● वर्ष 2008 की घोषणा वैश्वीकरण के युग में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के जनादेश की सामाजिक न्याय की समकालिक अवधारणा को अभिव्यक्त करती है।
● यह वैश्वीकरण के सामाजिक आयाम पर अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की रिपोर्ट के मद्देनज़र शुरू हुई त्रिपक्षीय परामर्श का परिणाम है।
● इसके उपरान्त सामाजिक विकास के लिए विश्व सम्मेलन के उद्देश्यों और लक्ष्यों के अनुरूप संयुक्त राष्ट्र आम सभा में प्रतिवर्ष 20 फरवरी को ‘विश्व सामाजिक न्याय दिवस’ के तौर पर मनाये जाने का फैसला किया गया था। संयुक्त राष्ट्र ने 26 नवम्बर, 2007 को इस निर्णय को मंजूरी दे दी और 2009 से यह दिवस मनाया जाने लगा।
● भारतीय संविधान की प्रस्तावना में संविधान के अधिकारों का स्रोत, सत्ता की प्रकृति तथा संविधान लक्ष्यों एवं उद्देश्यों का वर्णन किया गया है, जहाँ सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय को संविधान के लक्ष्यों के रूप में निर्धारित किया गया है।
● सामाजिक न्याय की सुरक्षा मौलिक अधिकारों एवं नीति निदेशक तत्त्वों के विभिन्न उपबंधों के माध्यम से भी की गई है।
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